मुंबई/नई दिल्ली. शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई में उद्धव ठाकरे Uddhav Thackeray को थोड़ी राहत मिली है। चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने से जुड़ी उद्धव गुट की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है। 16 विधायकों की अयोग्यता सहित दोनों पक्षों से जुड़े सभी मामलों पर शीर्ष अदालत court एक अगस्त को सुनवाई करेगी। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच के समक्ष उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं। सिब्बल ने कहा कि कोर्ट में लंबित मामले को देखते हुए चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने की जरूरत है। शिवसेना से बगावत के बाद भाजपा के सहयोग में सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के वकील ने इसका विरोध किया। शिंदे गुट ने कहा कि दोनों मामले अलग हैं। शिवसेना के 55 में से 40 विधायक और 19 में से 12 सांसद शिंदे के साथ हैं। खुद को असली शिवसेना बताते हुए शिंदे गुट ने चुनाव आयोग में मान्यता देने की अर्जी लगाई है। आयोग ने दोनों पक्षों से बहुमत के सबूतों के साथ आठ अगस्त दोपहर एक बजे तक जवाब मांगा है। वहीं, पार्टी के मुखपत्र के जरिए उद्धव ने शिंदे व बागी गुट पर निशाना साधा है। बगावत को विश्वासघात बताते हुए उद्धव ने बिना नाम लिए कहा कि वे जन्म देने वाली मां को खा जाने वाली औलाद समान हैं। उन्होंने शिंदे को अपने दम पर राजनीति करने की चुनौती दी। सवाल किया कि जब अलग हो गए तो बालासाहेब के नाम-फोटो का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं। ठाकरे ने कहा कि यह सब भाजपा की साजिश है। शिवसैनिकों को आपस में लड़ा शिवसेना को खत्म करने की मंशा है। लेकिन, ऐसा नहीं होगा। बागी पेड़ के सड़े पत्ते समान हैं, जो गिर गए हैं। उनकी जगह नए पत्ते आएंगे। ठाकरे ने कहा कि अफसोस इस बात का है कि जब मैं बीमार था, अस्पताल में था, तब यह साजिश रची गई।