नैनीताल:जनपद के लालकुआं क्षेत्र में पूरे 6 दिन तक मौत से लड़ने के बाद आखिरकार बीते रविवार को ट्रेन की टक्कर से घायल हुआ डेढ़ वर्ष का नन्हा हाथी का बच्चा अपनी जिंदगी की जंग हार गया….वन विभाग के अधिकारियों ने मृत नन्हे हाथी के शव का पोस्टमार्टम कर हाथी के बच्चे के शव को आज मौके पर ही दफना दिया….
हम आपको बता दें कि बीते रविवार को रुद्रपुर-लालकुआं रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की टक्कर से हाथी का एक डेढ़ वर्षीय बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया था….ट्रेन की टक्कर से हाथी के बच्चे की रीड की हड्डी और पैर में गंभीर चोट आ गई थी….
गंभीर रूप से घायल हाथी के बच्चे को उसी दिन वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर घायल नन्हे हाथी का इलाज शुरू कर दिया था….नन्हे हाथी के इलाज के दौरान वन विभाग की टीम को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और कई बार हाथियों के झुंड ने वन विभाग की टीम पर हमले का प्रयास भी किया….बाद में वन विभाग की टीम ने मौके पर सोलर फेंसिंग की तारे लगा दी जिस कारण हाथियों का झुंड घायल हाथी के बच्चे तक नहीं पहुंच पाया और डॉक्टर हाथी के बच्चे का इलाज करते रहे पर हाथी के बच्चे के पिछले हिस्से में गंभीर चोट लगने के कारण वह उठ नहीं पाया….
वाइल्डलाइफ चिकित्सक डॉ आयुष उनियाल,डॉ हिमांशु पांगती और वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ प्रशांत वर्मा के नेतृत्व में चिकित्सा कर्मियों की टीम ने घायल हाथी के बच्चे का इलाज पहले दिन से ही शुरु कर दिया था पर गंभीर रूप से घायल हाथी की हालत पहले दिन से ही नाजुक बनी हुई थी….चिकित्सकों द्वारा लगातार नन्हे हाथी को बचाने के हरसंभव प्रयास किया गया लेकिन 6 दिन के संघर्ष के बाद आखिरकार नन्हे गजराज ने दम तोड़ दिया….नन्हे हाथी की मौत का एहसास शायद उसकी मां को भी हो गया था और अपने कलेजे के टुकड़े की मौत के गम में आज नन्हे हाथी की हथनी मां भी चिंघाड़ मार-मार कर शोर मचा रही थी….
दरअसल रुद्रपुर-लालकुआं रेलवे ट्रैक के आसपास स्थित जंगल में हाथियों का झुंड रहता है और अक्सर ट्रेन चालक की लापरवाही के कारण हाथियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है अगर ट्रेन चालक थोड़ी भी सूझबूझ दिखाएं तो किसी भी हाथी को अपनी जान से हाथ नहीं धोना पड़ेगा….असल में तराई में इंसानों ने जंगलों के बीच रेलवे ट्रैक बिछा कर हाथियों के वर्षों पुराने मार्गों को अवरुद्ध कर दिया है और एक तरफ से दूसरी तरफ जंगल में प्रवेश करने के दौरान अक्सर रेलवे ट्रैक पर ट्रेन चालकों की लापरवाही से हाथी ट्रेन की चपेट में आ जाते हैं….रुद्रपुर-लालकुआं रेलवे ट्रैक पर अब तक कई हाथियों की मौत हो चुकी है लिहाजा सरकार को अब हाथियों को बचाने के लिए रुद्रपुर-लालकुआं क्षेत्र के मध्य एलिफेंट कॉरिडोर बनाने को लेकर गंभीरता से कार्य करना चाहिए ताकि आने वाले समय में हाथियों को बेमौत मरने से बचाया जा सके।