रुद्रपुर। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक बौद्ध और हिन्दूओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ जनाक्रोश रैली निकाल कर धरना प्रदर्शन किया गया.. रविवार को शहर के गांधी पार्क में साधू संतों के साथ हजारों की संख्या में हिन्दू और बंगाली समाज के लोग एकत्रित हुए और बांग्लादेश के खिलाफ नारेबाजी कर जोरदार प्रदर्शन किया.. इसके बाद मानवाधिकार मंच के नेतृत्व में राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन एडीएम को सौंपा गया…
मानवाधिकार मंच के कार्यकर्ताओं साधू संतों ने कहा कि जिस प्रकार से बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है यह निंदनीय है.. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिन्दू, बौद्ध, ईसाई, अल्पसंख्यक धार्मिक कट्टरपंथियों के शिकार हो रहे है..धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ रहे है.. उन्होंने उस अत्याचार का विरोध जताया और सड़क पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया..कहां कि बांग्लादेश राजनीतिक खड़यंत्र से गुजर रहा है.. वहां पर जेहादी किस्म के लोग लोकतंत्र पर हावी हो गए हैं..
भारत सरकार उसके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है.. अंतराष्ट्रीय संगठन भी चुप्पी साधे हुए हैं.. वक्ताओं ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समाज के धन एवं धर्म चरित्र की हत्या की जा रही है..
जिसको लेकर पूरे देश में हिंदू समाज आक्रोशित है.. भारत सरकार से हम सभी हिंदू समाज अपेक्षा करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अत्याचार को रखकर बांग्लादेश पर दबाव बनाया जाए… जिससे वहां अल्पसंख्यक हिंदू समाज के लोगों को सुरक्षा मिल सके..
जहां राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन एडीएम पंकज उपाध्याय को सौंपा गया.. ज्ञापन में कहा कि भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाए.. भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के माध्यम से यह सुनिश्चित करे कि बांग्लादेश सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए.. संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वतंत्र जांच आयोग का गठन किया जाए.. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों द्वारा एक स्वतंत्र जांच आयोग गठित किया जाए, जो बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निष्पक्ष और विस्तृत जांच करे.. बांग्लादेश सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव में शामिल कट्टरपंथियों को न्याय के दायरे में लाया जाए और उन्हें कठोर सजा दी जाए.. हिंसा और उत्पीड़न से प्रभावित अल्पसंख्यक समुदायों के पुनर्वास के लिए बांग्लादेश सरकार विशेष योजनाएं बनाए और उनके आर्थिक, सामाजिक, व सांस्कृतिक नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा प्रदान करे। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ कट्टरपंथियों द्वारा जबरन धर्मांतरण, अपहरण और हिंसा को रोकने के लिए बांग्लादेश सरकार प्रभावी कदम उठाए महिला और बाल दमन निवारण अधिनियम और अन्य प्रासंगिक कानूनों का कठोरता से पालन करने की मांग की है।