Manish Kashyap,Chief Editor….
UCC In Uttarakhand: चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने मुख्यमंत्री को सौंपा था …
उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया गया… यूसीसी विधेयक के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह विधेयक पेश किया… यह विधेयक पेश करने के बाद सीएम धामी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक वीडियो भी पोस्ट किया… उन्होंने लिखा- विधानसभा में ऐतिहासिक “समान नागरिक संहिता विधेयक” पेश किया.मुख्यमंत्री द्वारा विधेयक पेश किये जाने के इस दौरान सत्तापक्ष के विधायकों ने ‘‘भारत माता की जय, वंदे मातरम और जय श्रीराम’’ के नारे भी लगाये… प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी. उधर, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार की मंशा पर संदेह है. बिल की कॉपी आधी अधूरी मिली है…अब दो बजे इस पर चर्चा भी होनी है. ऐसे में इतनी देर में क्या चर्चा करेंगे और क्या पढ़ेंगे.चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था.. .UCC के तहत सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी
पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार मिलेगा.
लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी है…
लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 माह की सजा होगी.
लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार है.
महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है…
अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर हैं…
बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है…
शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं है…
उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा…
UCC लागू तो क्या होगा?
हर धर्म में शादी, तलाक के लिए एक ही कानून होंगे.
जो कानून हिंदुओं के लिए, वही दूसरों के लिए भी हैं.
बिना तलाक एक से ज्यादा शादी नहीं कर पाएंगे.
मुसलमानों को 4 शादी करने की छूट नहीं रहेगी.
UCC से क्या नहीं बदलेगा?
धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
धार्मिक रीति-रिवाज पर असर नहीं है.
ऐसा नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे.
खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर प्रभाव नहीं है।