नई दिल्ली देश में राष्ट्रपति पद के 18 जुलाई को हो रहे चुनाव में जम्मू-कश्मीर विधानसभा हिस्सा नहीं बन पाएगी। वर्ष 2019 में राज्य को बांट कर दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की स्थापना की गई है। इससे विधानसभा का अभी गठन नहीं हुआ है। यह दूसरा मौका है, जब इस केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा सर्वोच्च संवैधानिक पद के चुनाव की हिस्सा नहीं होगी। इससे पहले 1992 के राष्ट्रपति चुनाव में जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग होने के कारण हिस्सा नहीं बन सकी थीं। आतंकवाद के कारण वहां 1991 के लोकसभा चुनाव भी नहीं हुए थे। तब शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। हालांकि इस बार जम्मू कश्मीर के पांच लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी, अकबर लोन, जुगल किशोर शर्मा और जितेंद्र सिंह मतदान करने के पात्र हैं।